Story of Switzerland

in #switzerland7 years ago

स्विट्जरलैंड!!

नाम तो आपने सुना ही होगा 'स्विट्जरलैंड'!! ऐसा देश जहाँ दुनियां का हर शादीशुदा जोड़ा अपना हनीमून मनाने के ख्वाब देखता हैं। बर्फीली वादियों से ढका ये देश सुंदरता की अद्भुत कृति हैं हरियाली हो या बर्फ! आंखे जिधर भी जाये पलक झपकना भूल जाये!! दुनियां का सबसे सम्पन देश हैं स्विट्जरलैंड! हर प्रकार से सम्पन इस देश की एक रोचक कहानी बताता हूँ ...

आज से लगभग 50 साल पहले स्विट्जरलैंड में एक प्राइवेट बैंक की स्थापना हुई जिसका नाम था 'स्विसबैंक' इस बैंक के नियम दुनियां की अन्य बैंको से भिन्न थे ये स्विसबैंक अपने ग्राहकों से उसके पैसे के रखरखाव और गोपनीयता के बदले उल्टा ग्राहक से पैसे वसूलती थी साथ ही गोपनीयता की गारंटी !!
न ग्राहक से पूछना की पैसा कहां से आया ?
न कोई सवाल न बाध्यता !!
सालभर में इस बैंक की ख्याति विश्वभर में फैल चुकी थी ..चोर..बेईमान नेता!...या माफिया... तस्कर..
बड़े बिजनेस मेन इन सबकी पहली पसंद बन चुकी थी स्विस बैंक ! बैंक का एक ही नियम था रिचार्ज कार्ड की तरह एक नम्बर खाता धारक को दिया जाता साथ ही एक पासवर्ड दिया जाता बस!! जिसके पास वह नम्बर होगा बैंक उसी को जानता था न डिटेल न आगे पीछे की पूछताछ होती!!

लेकिन बैंक का एक नियम था कि अगर सात साल तक कोई ट्रांजेक्शन नही हुआ या खाते को सात साल तक नही छेड़ा गया तो बैंक खाता सीज करके रकम पर अधिकार जमा कर लेगा! सात वर्ष तक ट्रांजेक्शन न होने की सूरत में रकम बैंक की !!!

अब रोज दुनियाभर में न जाने कितने माफिया मारे जाते हैं! नेता पकड़े जाते हैं ! कितने तस्कर पकड़े या मारे जाते हैं कितनो को उम्रकैद होती हैं !! ऐसी सिचवेसन में न जाने कितने ऐसे खाते थे जो बैंक में सीज हो चुके थे ! सन 2000 की नई सदी के अवसर पर बैंक ने ऐसे खातों को खोला तो उनमें मिला कालाधन पूरी दुनिया के 40% काले धन के बराबर था
पूरी दुनियां का लगभग आधा कालाधन!!
ये रकम हमारी कल्पना से बाहर हैं !! शायद बैंक भी नही समझ पा रहा था कि क्या किया जाए इस रकम का!
क्या करें! क्या करे!
ये सोचते सोचते बैंक ने एक घोषणां की और पूरे स्विट्जरलैंड के नागरिकों से राय मांगी की इस रकम का क्या करे! साथ ही बैंक ने कहा कि देश के नागरिक चाहे तो ये रकम बैंक उन्हें बांट सकता हैं और प्रत्येक नागरिक को एक करोड़ की रकम मिल जाएगी !
सरकार की तरफ से 15 दिन चले सर्वे में 99.2% लोगों की राय थी कि इस रकम को देश की सुंदरता बढ़ाने में और विदेशी पर्यटकों की सुख सुविधाओं और विकास में खर्च किया जाए !

सर्वे के नतीजे हम भारतीयों के लिये चौंकाने वाले हैं लेकिन राष्ट्रभक्त स्विटरजरलैंड की जनता के लिये ये साधारण बात थी उन्होंने हराम के पैसों को नकार दिया मुफ्त नही चाहिय ये स्पष्ट सर्वे हुआ !
चौंकाने वाला काम दूसरे दिन हुआ 25 जनवरी 2000 को स्विट्जरलैंड की जनता बैनर लेकर सरकारी सर्वे चैनल के बाहर खड़ी थी ! उनका कहना था जो। .8%लोग हैं मुफ्त की खाने वाले उनके नाम सार्वजनिक करो !
ये समाज पर और स्विट्जरलैंड पर कलंक हैं
काफी मस्सकत के बाद सरकार ने मुफ्त की मांग करने वालो को दंडित करने का आश्वासन दिया तब जनता शांत हुई

और यहां भारत मे!!
इन को 15 लाख चाहिय !

अबे! पहले राष्ट्रभक्ति को पहचानो या सीखो !
मुफ्त की आदत खुद छूट जाएगी!!

नमन है ऐसे राष्ट्र भक्तों को
🙏

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