
ना जाने क्या क्या समाये बैठे है यह लाल डब्बे अपने अंदर। कितनी कहानियाँ, कितनी खबरे, कितने दिलों के हाल, रूठना मनाना, सताना, अपनों की यादें ना जानें क्या क्या।
आज के इस डिजिटल दौर में सब इतना पास होते हुए भी दूर है, पर ये लाल डब्बे आज भी वही एहमियत रख़ते है
Nice post upvote me also upvote u leave the comment @ksrinu445
@ksrinu445 Thank you for up voting
@originalworks