तुम्हारी "हार" तुम्हें, कभी नहीं झुका सकती अगर तुम में "जीतने" .............

in #poem4 years ago



तुम्हारी "हार" तुम्हें, कभी नहीं झुका सकती अगर तुम में "जीतने" का हौसला है तो