शाम होने को है घर जाते हैं अब बुलन्दी से उतर जाते हैं कमाने की जदोजहत ..........

in #poem4 years ago



शाम होने को है घर जाते हैं अब बुलन्दी से उतर जाते हैं कमाने की जदोजहत में अपनो से बिछड़ जाते हैं ज़िंदगी सामने मत आया कर हम तुझे देख के डर जाते हैं ख़्वाब क्या देखें थके हारे लोग ऐसे सोते हैं जैसे कि मर जाते हैं