मां के लिए कुछ भावनाएं
आज मैं आपके सामने उसे ममता के रूप के लिए कुछ शब्द कहने जा रही हूं,
जिसके प्यार को हम शब्दों से नहीं, भावनाओं से समझ सकते हैं।
जिसका नाम आते ही आंखों में आंसू और दिल में सुकून आ जाता है।
मां वह शक्ति है जिसके बिना ना संसार है ना संस्कार है,
जो बस एक रिश्ता नहीं बल्कि सभी रिश्तों का मूल है।
कहते हैं हीरे की परख बस अच्छे जौहरी को ही होती है,
इसलिए तो परमात्मा भी धरा पर आकर मां द्वारा ही स्वर्ग राज जाते हैं।
तो आइए, उस मां को प्रणाम करते हुए कुछ पंक्तियों के माध्यम से उनका गुणगान करते हैं।
मां के बिना यह संसार ही नहीं, वह तो बीज है जिससे सृष्टि जन्मी।
वह है जो संस्कार देती है, वही है जो अपने आंचल में संसार पालती है।
महात्मा भी तभी कहलाता है जब उसके अंत में 'मा' आता है,
परमात्मा भी उसी से पूर्ण है — उसकी अंतिम अक्षर में भी तो 'मा' छुपी है।
इतिहास बनाने वाले कई मील के पत्थर हर एक मां की गोद में ही पले।
ममता की मूरत, प्रेम की मूरत है,
जो इस जग को स्वर्ग बनाए, मां की वही सूरत है।
शुक्रिया।