A Poet's Desire to Meet His Lover (Poem in Hindi)

in #love7 years ago

खुले बिखरे बालों के साये समेटे
टिमटिमाती मोतियों सी आँख लेकर

अपनी हँसी को होंठों में कोमल छिपाये
बैठी हुई है आँसुओं के ख्वाब पीकर

है वो चंचल मखमली सुन्दर परी सी
उसके तड़पते दिल में खिलते फूल प्यारे

दुःख नहीं दिखने वो देती मुख पे अपने
प्यार के कंचन लुभाते मन सुहाने

हुए दर्शन मुझे उस देवांगना के
शर्म से झुकती उठी पलकें थीं उसकी

लज्जा के भूषण कमल से तन को संभाले
इत्रित किये थी मुस्कराहट समतल पवन सी

कवि मैं कविता वो मेरी बन रही है
प्रेम की मधु सत्यता सनते सनाते

दूर होकर भी वो मेरे चिर निकट है
प्यार के मोती चुनें छुपते छिपाते