You are viewing a single comment's thread from:
RE: धर्म का प्राणतत्व : विनय (भाग # १) | The Life of Religion : Modesty (Part # 1)
"मीठा मुख ,पाये सुख" इसी प्रकार मनुष्य को दुसरो के साथ सदैव मीठा एवं विनम्र भाव रखना चाहिए ।
"मीठा मुख ,पाये सुख" इसी प्रकार मनुष्य को दुसरो के साथ सदैव मीठा एवं विनम्र भाव रखना चाहिए ।