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RE: धर्म का प्राणतत्व : विनय (भाग # १) | The Life of Religion : Modesty (Part # 1)
मनुष्य को आपनि वाणी सदैव मीठी रखनी चाहिए ,इससे वो बड़े बड़े और असंभव लगने वाले कार्यो को भी
सरलता से कर सकता है
मनुष्य को आपनि वाणी सदैव मीठी रखनी चाहिए ,इससे वो बड़े बड़े और असंभव लगने वाले कार्यो को भी
सरलता से कर सकता है