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RE: धर्म का प्राणतत्व : विनय (भाग # १) | The Life of Religion : Modesty (Part # 1)
मान्यवर आपके विचार बहुत ही शुद्ध एवं विनम्र हैं और यही सत्य है विनम्र विचारों से ही भाषा भी बहुत नम्र हो जाती है और ऐसे व्यक्ति का समाज भी सम्मान करता है । अच्छे एवं शान्तरिप्रोय जीवन के लिए विनम्रता बहुत आवश्यक है साथ ही विनम्र व्यक्ति अपने आप ही सकारात्मक विचारों वाले हो जाता है । आपके इस लेख ने मुझे हिंदी में लिखने को प्रोत्साहित किया धन्यवाद आपका बंधु ।