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RE: सुख : स्वरूप और चिन्तन (भाग # ३) | Happiness : Nature and Thought (Part # 3)
खुशी की सच्ची अनुभूति तो तब होती है जब आप किसी और और के चेहरे पर मुस्कान का कारण बनते है। ऐसी खुशी का कोई मोल नहीं।
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बिल्कुल सही कहा आपने.