Rights and duties
Constituent Assembly to the mind of the Indian Census
Only national understanding by understanding and keeping it in the center
Made the Indian Constitution. We are people of india this four
The words are symbols of the same folk religion. Make the constitution
There was no mention of duties in it. 44th in 1976
Through the Constitution Amendment Bill, the Constitution
In the fourth part, the fourth (a) went into two taxes from the arrangement of the discharge of duties. This system is clear
That all original duty is national integration secrecy
And inspires to keep sovereignty intact.
Are there. Morality Message to Protect Humanity
And give compassion to compassion and mercy only
Teach lessons.
Some fundamental rights to citizens in the constitution
Which have been provided for equality, independence
Right to freedom of the rights
Culture and education and constitutional remedies
Rights are included. In our constitution these basic
Rights included with this hope
Gone that one day the true freedom tree in India
Every citizen of the independent nation will evolve
Saves the dream of getting the rights. The right
The symbol of the existence of a civilized society. By rights
Not only the physical and mental development of the person
It does happen, but the person is a specific
The location is obtained. Original Constitution Indian Constitution
Has magnet. The state also did not make any such method
May be incompatible or stripped of original rights
Be it or less. Certain restrictions of rights
Are included.
संविधान सभा ने भारतीय जनगण के मन को
पूरी तरह समझ और केंद्र में रख कर ही राष्ट्रीय सहमति
से भारतीय संविधान बनाया। हम भारत के लोग ये चार
शब्द उसी लोकनिष्ठा के प्रतीक हैं । संविधान बना तब
उसमें कर्तव्यों का उल्लेख तक नहीं था। 1976 में 44वें
संविधान संशोधन विधेयक के माध्यम से संविधान के
चौथे भाग में चतुर्थ (अ) जोड़ कर कर्तव्यों के निर्वहन की व्यवस्था की से दो करों में गई । इस व्यवस्था स स्पष्ट
है कि सभी मूल कर्तव्य राष्ट्रीय एकताअखण्डता
एवं प्रभुता को अक्षुण्ण बनाए रखने की प्रेरणा देते है ।
हैं। नैतिकता मानवता की रक्षा करने का संदेश
देते हैं और प्राणी मात्र के प्रति दया और करुणा का
पाठ पढ़ाते हैं।
संविधान में नागरिकों को कुछ मौलिक अधिकार
प्रदानकिए गए हैं जिनमें समता, स्वतंत्रताशोषण के
विरुद्ध अधिकारधर्म की स्वतंत्रता का अधिकार
संस्कृति तथा शिक्षा और संवैधानिक उपचारों का
अधिकार शामिल है । हमारे संविधान में इन मूल
अधिकारों को इस आशा के साथ सम्मिलित किया
गया कि एक दिन सच्ची स्वतंत्रता का वृक्ष भारत में
विकसित होगा स्वतंत्र राष्ट्र का प्रत्येक नागरिक
अधिकारों की प्राप्ति का स्वप्न संजोता है। अधिकार व
सभ्य समाज के अस्तित्व का प्रतीक है। अधिकारों से
व्यक्ति का न केवल शारीरिक एवं मानसिक विकास
होता है अपितु इससे व्यक्ति को समाज में एक विशिष्ट
स्थान प्राप्त होता है। मूल अधिकार भारतीय संविधान
का मैग्नाकार्ट है। राज्य भी ऐसी कोई विधि नहीं बना
सकता तो मूल अधिकारोंसे असंगत हो या छीनने वाली हैं
हो या कम करने वाली हो। अधिकार कतिपय निर्बधों
से युक्त होते हैं।
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