क्या हम आज़ाद हैं?
फ़्रिज की बॉटल भरने को बाध्य हैं,
रोज नहाने को बाध्य हैं,
बिना ब्रश किये चाय नहीं मिलती,
10 बजे तक सोने वालों को अलग ही नजर से देखा जाता है।
एक बार इन सबपर भी सोचिएगा क्या सच में आज़ाद हैं हम
फ़्रिज की बॉटल भरने को बाध्य हैं,
रोज नहाने को बाध्य हैं,
बिना ब्रश किये चाय नहीं मिलती,
10 बजे तक सोने वालों को अलग ही नजर से देखा जाता है।
एक बार इन सबपर भी सोचिएगा क्या सच में आज़ाद हैं हम
Ha.....ha....... After marriage bolne ki aajadi bhi khatam
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sochne ki baat to h bhai
hahaha
sahi h bhai accha likhe ho