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RE: दूध – एक धीमा जहर -2 [खून की गंगा में तिरती मेरी किश्ती, प्रविष्टि – 15]

in LAKSHMI4 years ago

जी, प्रोटीन अनेक स्रोतों में होता है. लेकिन पशु-पदार्थों से प्राप्त प्रोटीन को हमारा शारीर सुगमता से पचा नहीं पाता है. प्रोटीन की कमी कोई समस्या नहीं है, उससे अधिक मानव शरीर बहुतायत में प्रोटीन लेने से पीड़ित है. यदि इसे पूर्णतः वनस्पति स्रोतों से प्राप्त किया जाये तो काफी हितकर रहता है.