Pes hai ek ghazal
देर तक महफ़िलों में नज़र आएगा
घर तेरा टूटकर फिर बिखर जाएगा
टूटकर दिल के टुकड़े अगर हो गये
क्या पता कौन सा फिर किधर जाएग
हुस्न की ये अदा मत दिखाओ उसे
वो दिवाना है हद से गुज़र जाएगा
प्यार ग़र हो गया लाजमी आपको
आपका दिल खुशी से ही मर जाएगा
अब तो पहचान उसे हर गली ले रही
प्यार से क्या वो मेरे ....मुकर जाएगा
छोड़कर बस उसे अब न जाओ कभी
मित्र तन्हा रहा तो ये .......मर जाएगा