सोयाबीन के बम्पर उत्पादन की उम्मीद। लेकिन क्या किसान को मिलेगा न्यूनतम समर्थन मूल्य?

in #bitcoin7 years ago

: भारतीय किसान इस वर्ष सोयाबीन की भरपूर खरीफ फसल की उम्मीद कर रहे हैं, जिसकी बिक्री सरकार द्वारा प्रस्तावित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी कम पर हो सकती है। चूंकि मध्य प्रदेश देश में सोयाबीन का सबसे बड़ा उत्पादक है, इसलिए मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों को बाजार मूल्य और एमएसपी में अंतर को भावांतर भुगतान योजना के माध्यम से देने की तत्परता दिखाई है।

मध्यप्रदेश के बाद सोयाबीन उत्पादन में महाराष्ट्र का दूसरा स्थान है। मध्य प्रदेश में 54-55 लाख हेक्टेयर भूमि में सोयाबीन की खेती होती है, जबकि महाराष्ट्र में सोयाबीन के अंतर्गत 38-48 लाख हेक्टेयर भूमि है। देश के पास पिछले सीजन का 15-20 लाख टन का बकाया स्टॉक जमा है। इस साल हम 85-90 लाख टन उत्पादन की उम्मीद कर रहे हैं। देश में सोयाबीन की वार्षिक जरूरत 80-90 लाख टन है। इसलिए हमारे पास कम से कम 10-15% अधिशेष सोयाबीन हो सकता है।

इस पृष्ठभूमि में, मध्यप्रदेश सरकार ने बाजार मूल्य से के एमएसपी से कम रहने की स्थिति में उनके बैंक खातों में कीमत के अंतर की रकम को जमा करने के विचार के साथ भावांतर भुगतान योजना के तहत किसानों का नामांकन शुरू कर दिया है।

हालांकि, महाराष्ट्र के किसानों के पास ये सुविधा नहीं है। पोल्ट्री उद्योग के लिए आवश्यक सोयाबीन खल की बाजार कीमत भी 5% घटकर 2700-2800 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है। फसल कटाई के बाद सोयाबीन की नई फसल के बाज़ार में आने के साथ, कीमत में और 5% से अधिक की कमी आ सकती है।