Beautiful thought
सच सुनने और कहने का चलन से मैं तब बाहर हुआ जब बहुतों को सच बोलने और सुनने की सजा भुगतते देखा वो हरिश्चंद्र के बाद दूसरे नंबर पर था सच बोलकर लावारिस ( बिना वारिस की लाश) सा दिखाई देता था।
सच सुनने और कहने का चलन से मैं तब बाहर हुआ जब बहुतों को सच बोलने और सुनने की सजा भुगतते देखा वो हरिश्चंद्र के बाद दूसरे नंबर पर था सच बोलकर लावारिस ( बिना वारिस की लाश) सा दिखाई देता था।