बाबा राज
जिसने लिखा उसको प्रणाम
हिजड़ो ने देश संभाला है ,
बेकार हुई अब खाकी है।
जरा संभल के रहना यारो ,
अभी अगस्त महीना बाकी है।।
ऑक्सीजन से सैकड़ो मासूम मरे,
हजार मरे बाढ़ के पानी से।
ना जाने कितने ट्रेन से मर गए,
सरकार की ऐसी नादानी से ।।
कोने कोने से देश की निकलती,
अब देखो लाशों की झांकी है।
जरा संभल के रहना यारो,
अभी अगस्त महीना बाकी है।।
कितने पाखंडी बाबाओ को ,
हमने मौज उड़ाते देखे है।
कितने भ्रष्ट नेता को कोर्ट से,
बा-ईज्जत आते देखे है।।
किस किस पे ऊँगली उठाओगे ,
हर नेता मंत्री दागी है ।
जरा संभल के रहना यारो,
अभी अगस्त महीना बाकी है।।
सिख - ईसाई - मुस्लिम छोड़ो,
हिन्दू खुद अपना धर्म मिटायेंगे।
इराक सीरिया और पाक की छोड़ो,
हम आपस में लड़ मर जायेंगे।।
जो कुछ हो रहा देश में मेरे ,
बहुत बड़ा ना-इंसाफी है।
जरा संभल के रहना यारो,
अभी अगस्त महीना बाकी है।।
कभी दामिनी के लिए देश को,
दीप जलाते देखा था ।
आज एक बलात्कारी के खातिर,
शहर जलाते देखा है।।
शर्म करो ऐ धर्म के रक्षक,
गर कुछ इंसानियत बाकी है।
जरा संभल के रहना यारो,
अभी अगस्त महीना बाकी है।।
धर्म मजहब अपने दिल में रखो,
बाबा मौलवी सब बैन करो।
चीन- जापान -कोरिया जाग गये,
तुम भी जागो ना शयन करो।।
बेरोजगारी- भुखमरी- गरीबी,
अभी बहुत समस्या बाकी है।
जरा संभल के रहना यारो,
अभी अगस्त महीना बाकी है।।
बचा सको तो बचा लो तुम,
इनसे अपने परिवारों को।
वर्ना फिर से याद करोगे ,
गोधरा के गलियारों को।।
कठिन बहुत है न्याय का मिलना,
जिसकी भैंस उसी की लाठी है।
जरा संभल के रहना यारो,
अभी अगस्त महीना बाकी है।
क्या उम्मीद लगाओगे,
तुम ऐसी सरकारों से।
जो खुद मासूमो के कातिल है,
इंसानियत के हत्यारों से।।
लंगड़ा हो गया देश मेरा,
एकता ही इसकी बैसाखी है।
जरा संभल के रहना यारो,
अभी अगस्त महीना बाकी है।।
जय हिन्द। जय भारत ।
राजेश बवेजा
जयपुर