सहन-शक्ति:
"सहन-शक्ति: हर किसी की अलग होती है, इसलिए तुलना मत करो"
कुछ बातें ऐसी होती हैं, जो समय के साथ हमें धीरे-धीरे समझ आती हैं। ये कोई किताबों से नहीं सीखी जातीं — इन्हें हम अपनी ज़िंदगी में खुद जीकर ही समझते हैं।
मुझे अक्सर लगता था कि मैं दूसरों की तरह क्यों नहीं हूँ? क्यों कुछ लोग मुश्किल हालातों में भी मुस्कुराते रहते हैं और मैं टूटने लगता हूँ?
पर धीरे-धीरे एहसास हुआ कि हर इंसान की सहन-शक्ति अलग होती है।हम सब अपने-अपने संघर्षों से लड़ रहे हैं। कोई बाहर से मजबूत लगता है, लेकिन अंदर से बिखरा होता है। कोई चुपचाप सह रहा होता है, लेकिन हमें पता तक नहीं चलता।
धैर्य और सहन-शक्ति — सफलता के असली हथियार
आज जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूँ, तो समझ आता है कि सफलता सिर्फ हुनर या मौके से नहीं मिलती, बल्कि धैर्य और सहन-शक्ति से मिलती है।जो इंसान मुश्किलों के सामने भी डटे रहते हैं — वही जीवन में सच में आगे बढ़ते हैं।
कमज़ोर नहीं, बस थके हुए होते हैं
जो लोग जल्दी हार मान लेते हैं, वो हमेशा कमजोर नहीं होते।कभी-कभी उनकी सहनशक्ति जवाब दे देती है।
शायद उन्होंने पहले ही बहुत कुछ सह लिया होता है, बस अब और नहीं हो पाता।इसलिए हमें कभी भी किसी की तुलना नहीं करनी चाहिए।न खुद से, न दूसरों से।
सम्मान उनके लिए जो लड़ते हैं
समाज में वही लोग सम्मान पाते हैं, जिन्होंने कुछ देखा हो — गिरना, टूटना, फिर भी उठना।
उनकी कहानी में दर्द होता है, पर वही दर्द उन्हें मजबूत बनाता है।और हाँ, जल्दबाज़ी कभी भी अच्छा नहीं लाती।संयम जरूरी है।जल्दबाज़ी में लिए गए फैसले ज़्यादातर गलत साबित होते हैं।
अंत में बस इतना कहूँगा…
अगर आप आज किसी मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं, तो बस इतना याद रखिए —
आपकी सहन-शक्ति आपके लिए बनी है।